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दो गाड़ियों के बीच / बरीस स्लूत्स्की
Kavita Kosh से
दो गाड़ियों के बीच की प्रतीक्षा
या दो युद्धों के अन्तराल के बीच
अजीब होते हैं नियम
और प्रथाएँ भी अजीब-सी ।
अभी बहुत देर इन्तज़ार करना होगा
गाड़ी के गुज़र जाने
या भविष्य के युद्ध का ।
कालहीनता भी एक काल है
उसमें भी जिया जाता है
पर मालूम नहीं - कैसे ?
ओ कालहीनता !
ओ अन्ततराल ! ओ बीच की जगह !
कितना भयभीत रहा मैं तुम्हारे सामने !
मैंने विश्वयुद्ध के दिनों में अपना रास्ता नहीं खोया
खोया नहीं मैं रात की किसी गाड़ी में
न ही विश्वयुद्ध जैसी किसी दूसरी घटना में
पर अब -- मैं खो गया हूँ ।
इन्तज़ार करते रहना होगा
निर्णायक मोड़ तक ।
पहुँचने देना होगा समय को
उसके अन्तिम बिन्दु तक ।