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दो छोटी कविताएँ / मदन डागा
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1. कुर्सी
कुर्सी
पहले कुर्सी थी
फ़क़त कुर्सी
फिर सीढ़ी बनी
और अब
हो गई है पालना
ज़रा होश से सम्हालना !
2 भूख से नहीं मरते
हमारे देश में
आधे से अधिक लोग
गरीबी की रेखा के नीचे
जीवन बसर करते हैं
लेकिन भूख से
कोई नहीं मरता
सभी मौत से मरते हैं
हमारे नेता भी
कैसा कमाल करते हैं !