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दो दिल / जमाल सुरैया / निशान्त कौशिक

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दो दिलों के बीच सबसे छोटी राह :
दो बांहें
एक दूजे की ओर खुली हुईं
और कभी-कभी सिर्फ़ उँगलियों के पोर से छुई जा सकने वाली
दौड़ रहा हूँ इर्द-गिर्द सीढ़ियों के
इन्तज़ार की शक़्ल अख़्तियार कर रहा है वक़्त

वक़्त से पहले ही हाज़िर हूँ और तुम मिलती नहीं

किसी रियाज-सा चल रहा है सब कुछ
परिन्दे सारे इकट्ठे होकर लौटने की राह में हैं

काश कि महज इसलिए ही चाह सकता तुम्हें

मूल तुर्की भाषा से अनुवाद : निशान्त कौशिक