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दो पल ठहरो तो ज़रा / वत्सला पाण्डेय
Kavita Kosh से
दो पल ठहरो तो ज़रा
आओ कुछ बात करें
न चन्दा, न तारे, न ऋतु की
आपस की बात करें
आओ कुछ बात करें...
जीवन की लहरों को
मिलजुल कर पार करें
मैं तेरे तुम मेरे
टूटे सपने साकार करें
आओ कुछ बात करें....
व्यर्थ के दिखावे को
खुद से हम दूर करें
दर्प के शीशे को
झट से हम चूर करे
आओ कुछ बात करें....
दुःख के घन बरसे तो
धीरज का साथ धरें
पीड़ा छंट जायेगी
इसका विश्वास करें
आओ कुछ बात करें...