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दो बहनें / कविता कानन / रंजना वर्मा

रहतीं दो बहनें
सुबुद्धि और कुबुद्धि
मानव के घर ।
दोनों ही विपरीत
एक दूसरी से
सुबुद्धि
शांत , सहज
प्रसन्नचित्त
सुखदायिनी
कुबुद्धि
अशांत , असहज
कलहकारिणी
कष्ट प्रसूता ।
किसका
सम्मान करें मानव ?
सम्मान करें
सुबुद्धि का
तो सुखी हो
कुबुद्धि को मान दे
तो वह
बुहार कर फेंक दे
घर की सारी समृद्धि
बना दे दरिद्र
दिलाये अपमान ।
चाहिये
सद विवेक ।
यदि चाहते हो
सुख शांति
सदैव साथ दो
प्रिय सुबुद्धि का ।