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दो बात, करी थी बागां मैं / मेहर सिंह

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रणबीर सैन आगे क्या कहता है-

पकड़ लिया हाथ, देख ली जात, तेरी साथ,
दो बात, करी थी बागां मैं।टेक

रूप देख कै पागल बण्या
करुं था मैं एक जणा
था घणा सुखी, हुया किसा दुखी किसी लिखी धरी थी
भागां मैं।

दगाबाज धोखे की भरी
तनै मेरे संग मिलकै किसी करी
थी मेरी तेरी जोड़, जै निभावै ओड, कद मोड, बंधैंगें
पागां मैं।

बंजड़ खेत में मृग चरै के
आशकी करै तै इंसान डरै के
तरै ये मनुष्य, मारकै धनुष मिटा दिया वंश
हंस आज साथ फिरै सै काले कागां मैं।

मेहर सिंह ना मरी का टोह
जिस तै तरा गुजारा हो
यो के कर्या, नाश, जा तेरा, फिरया
किसा आण मर्या थारी जागां में।