दो रंग का लिखने वाली कलम / अमित धर्मसिंह
हम जब छोटे थे
तो अपने दोस्त को
यह कहकर बेवक़ूफ़ बनाते थे-
ओ देख बे मैं इस नीले पेन से
लाल लिख दूँगा
उसको लगता
नीला चलने वाला पेन
लाल कैसे लिख सकता है
वह हमें लाल लिखने को कहता
हम झट से कॉपी पर लिखते "लाल"
और पूछते-
बता बे ये क्या लिखा
'लाल' कहकर वह कहता
मैं तो समझा था कि तुम
नीली स्याही वाले पेन से
लाल रंग का लिखोगे।
मगर फिर कौन सुनता
सब उसकी मज़ाक बनाते
जबकि वह सही होता
कि एक रंग की स्याही वाले पेन से
कहाँ लिखा जा सकता है
दो रंग का।
मगर अब ऐसा नहीं
अब एक ही रंग की स्याही से
लिखा जा सकता है कई रंग का
कम से कम
दो रंग का तो लिखा ही जा सकता है
आप कह सकते हैं
आदमियों की तरह
कलम भी हो गयी है दोगली
स्याह को श्वेत और
श्वेत को स्याह करना
खूब आता है अब कलम को।
असल में
यह कमाल कलम का नहीं
कलमकार का है
वही लिख सकता है
एक रंग की स्याही से कई रंग का
वह भी ठोस प्रामाणिकता
और पूरे दावे के साथ
उसी की कलम
बनारस पर चल सकती है धाराप्रवाह
तो शब्बीरपुर पर
हो सकती है लकवाग्रस्त।