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दो शब्दों के बीच / रश्मि भारद्वाज
Kavita Kosh से
तुम्हारे लिखे दो शब्दों के बीच बेख़्याली से जो जगह छूट जायेगी,
मैं अपनी कविता के साथ वहां मिल जाया करुंगी
उसी जगह, जहाँ तुम्हारे रचे इतिहास से वंचित किए गए लोग रहते हैं,
हारे -थके और दमित लोग
वहीं, जहाँ उनके आँसू रहते हैं,
भूख बसती है,
अंधेरा सहमाता है
तुम्हारे लिखे चमकते पन्नों से मुझे ख़ून की बू आती है