भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे / हिन्दी लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे बाबा खड़े रोवें
दादी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे पापा खड़े रोवें
मम्मी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे जीजा खड़े रोवें
दीदी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे भईया खड़े रोवें
भाभी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,