भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दौड़ी अम्मा / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डुगर-डुगर, भाई डुगर-डुगर,
चलता लल्लू, डुगर-डुगर।
गिरता है फिर उठ जाता।
उठकर के फिर गिर जाता।
गिरा उठा है, जिधर-जिधर,
दौड़ी अम्मा उधर-उधर।