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द्रिष्टी-भेद / सांवर दइया
Kavita Kosh से
गंभीर हुर’र
म्हैं कैवूं-
आखर री औकात
भव री लात !
मुळक’र
बै कैवै-
आखर री औकात
रूस्योड़ै टाबर री लात !