भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

द्वंद्व / राजेन्द्र जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरती के रथ पर
शासन की बागडोर
उसका मेरा
मेरा उसका
क्या है कब जाना
हिंसा और अहिंसा के
द्वंद्व में रोई थी
सूझ बूझ कहीं कोने में
भोग विलास की
सेनाएं सामने खड़ी थीं
संयम तरस रहा था छांव को
देख दुपहरी
हर पल
चारों ओर
कोलाहल ही कोलाहल
धरती का रथ
युद्व के अंत पर थमेगा
और अंत......???