द्वी न्याळू की समझदार बै / सुन्दर नौटियाल
कुजाण इत्क्या समझदार कना ह्वै ?
मेरा द्वी न्याळू की बै ।
पैलि खरीदारी बि कम ही कम होंदी थै,
खिस्सी मा पैसी ढेली बि कम ही रौंदी थै ।
छै सौ का सूट पर हाथ नि धरेंदू थै,
ढाई सौ का सूट सि ही खुश ह्वै जौंदी थै ।।
क्रीम पौडर बि लग्दू थै पर उच्छि-उच्छि बचै-बचै,
माथा पर लग्दी थै तब टिकुली बिंदुली जचै-जचै ।
होंठड़ी पर लिपिस्टिक लग्दी थै चाहे सस्ती हो,
क्वै मौका छुट्यूं नि चयैंदु थै जख उलार हो जख मस्ती हो ।।
अब द्वी चार पैसा हुयां छ साब खिस्सा मा,
थोड़ा भौत खुशी आयीं मेरा बि हिस्सा मा ।
चाऊं त हर मैना द्वी हजार कु सूट बणाऊ,
चाऊं त हर हफ्ता मा बढ़िया वाळू फेसियल कराऊ ।
पर अब ह उमंग नीछ उलार नीछ मनमा,
हाथ कंपदा वींेका अब नोट खर्च कनमा ।
मन त करदू गैणों सि लकदक ह्वै जाऊ,
दुनिया देखू पोथली बणी खर्च ज्यादा नि ह्वाऊ ।।
बच्चु का लता कपड़ा बड़ा नाप का ल्यौणा जी,
छैमाना साल भरी मा हि छुट्टा मुट्टा होणा जी ।
स्कूल डरेस त साल दुयौक चलीं हि चैंदी,
लोगों की त सालों साल ह्ये डरेस चलदी रैंदी ।।
पैंट छुटी ह्वैगी त तुल्पै उखाड़ी लंबी कर,
शल्ट की बाजु छुटी ह्वै त स्वेटर क भितर धर ।
सब्जी भुज्जी ल्योंदा तुम त देखी भाळी ल्यावा दौं,
भिंडी की मुंडळी तोड़ा लौंकी आंगुळीन दबावा दौं ।।
पैसा देणा सी पैली थोड़ा मोल भाव करा,
बीस मांगणू छा अगर त पन्द्रा तैका हाथ धरा ।
तुम कमौणा त छंदी पर खर्च कनु तुमु औंदु नी,
यीं चालू दुनियां मा क्वै तुमसी सीदू रौंदु नी ।।
यन नि छा कि मैडम हमारी अति कंजूस ह्वैगे,
पैसों पर मरदी वा कि भौत मक्खीचूस ह्वैगे ।
मेरू बि कर्जपात कर्यूं द्वी कमरा बणोण मा,
सारी नौकरी जाणी अब तै करजा चुकोण मा ।।
बजारू मा रैणु अर नौना बि पड़ौणा छ,
बै बाबू बि देखणा घार, द्यो-ध्याण बि निभौणा छ ।
कबि लग्दू कि बिन उमंग बेकार ह्वैगे वा,
पर असल मा वक्त दगड़ि, समझदार ह्वैगे वा ।।