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द्वेष मद मोह का अब शमन कीजिये / रंजना वर्मा
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द्वेष मद मोह का अब शमन कीजिए.
श्वांस को ज़िन्दगी का पवन कीजिए॥
अब निराशा न जागे ह्रदय में किसी
आस को पूर्ति का एक क्षण कीजिए॥
सब सुखी मुक्त होकर जियें इसलिए
प्रीति रस से भरी अंजुमन कीजिए॥
खून हिंसा न हो भय न हो गम न हो
अब न काँटों की कोई चुभन कीजिए॥
इसकी खातिर कटा देंगे हम शीश भी
विश्वगुरु पूज्य प्यारा वतन कीजिए॥
अब न आतंक की बात हो देश में
अब यहाँ शांत वातावरण कीजिए॥
युग बदल आज अंगड़ाइयाँ ले रहा
कुछ नई नीतियों का चलन कीजिए॥
भूमि यह प्राण से प्रिय रहे सर्वदा
ध्वज यही तन का मेरे कफ़न कीजिए॥