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द डिफरेंट स्ट्रोकस / विजेंद्र एस विज
Kavita Kosh से
तुम,
बस दूर खडे
एक मूक दर्शक की भाँति
आवाक देखते रहे...
और,
मुझे...उन चन्द
आडी-तिरछी लकीरोन ने
असहाय बना दिया...
तुम!!!
चाहते तो रंगो की एक दीवार
खडी कर सकते थे...