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धड़कन में चुप आ बसे / अनुराधा पाण्डेय
Kavita Kosh से
धड़कन में चुप आ बसे! मैं तुझमे लयमान।
साँसों में कैसे घुले, मैं इससे अनजान॥
मैं इससे अनजान, अभय पथ पर डग भरती।
बनकर प्रणय पलाश, मदन! मैं तुझपे झरती।
रे! नटवर मृदु प्राण, देख! मैं रचती मधुवन।
आओ! लो संज्ञान, सुनो राधा की धड़कन।