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धड़कै दिल मन बेचैन / मुकेश कुमार यादव
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धड़कै दिल, मन बेचैन
सावन-भादो बरसै नैन।
जेठ-आषाढ़ा पानी-पानी।
बरसै सावन हथिया-कानी।
केकरा मिलै छै चैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।
अगहन-पूस जाड़-ठहार।
कोहरा, कुहासा, रात पहाड़।
बोरसी आग सुख चैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।
माघ-फागुन उड़ै गुलाल।
गोरो गाल लाल-लाल।
याद आवै दिन रैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।
चैत-बैशाख बिना आस।
केकरा आवै गर्मी रास।
घर बाहर सगरे बेचैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन
आश्विन-कार्तिक सूना-सूना।
दिन दूना, रात चौगुना।
धड़कन सांस बेचैन।
धड़कै दिल, मन बेचैन।