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धनछूहा / विभूति आनन्द
Kavita Kosh से
आवश्यक अछि
जीहमे स्वाद
आँखिमें दृष्टि, आ
मोनमे उल्लास
मुदा आवश्यक अछि ताहि लेल
ओकरा पढ़ब
पढ़ि क’ गूनब
गूनि क’ ताहि दिशामे डेग उठाएब
ताहिसँ पहिने, कि
हमरा सभ बन्हकी बना लेल जाइ-
आवश्यक अछि
दुनिया भरिक तमाम
सियासी माथा पच्चीकें परखि क’
तय करब एक संतुलित सोच
एहि लेल आवश्यक अछि इंधन।
कम्प्यूटरीकृत आंकड़ा
आ उदार ग्लोबल अर्थ व्यवस्थाक बीच
मिझा ने जाइ ई इंधन
आवश्यक अछि
एकरा पजारि क’ राखब
धनछूहा
इंधन ल’ आबि रहल अछि
इंधन ल’ क’ भागि रहल अछि
धनछूहा