धन्यवाद / डब्ल्यू० एस० मेर्विन / श्रीविलास सिंह
सुनो
ढलती हुई रात्रि के साथ हम कह रहे हैं तुमको धन्यवाद
पुलों पर रुकते हुए रेलिंग से झुकने को
हम भाग रहे हैं शीशे के कमरों से
भोजन से भरे अपने मुखों के साथ देखने को आकाश की ओर और कहने को धन्यवाद
हम खड़े हैं जल के किनारे धन्यवाद कहते
खड़े हुए खिड़कियों के पास देखते
अपनी दिशा में
लौट कर वापस एक के बाद एक अस्पतालों से वापस शोककुल अन्त्येष्टि से
हम कह रहे हैं तुमको धन्यवाद
मृतक का समाचार मिलने के बाद
जानते हों उसे हम या नहीं, हम कह रहे हैं तुमको धन्यवाद
टेलीफोन पर हम कह रहे हैं धन्यवाद तुम्हें
दरवाज़ों पर और कारों की पिछली सीट पर और लिफ़्ट में
स्मरण करते युद्धों और दरवाज़े पर मौजूद पुलिस को
और सीढ़ियों पर हुई पिटाई को हम कह रहे हैं तुम्हें धन्यवाद
बैंकों में हम कह रहे हैं धन्यवाद तुमको
कर्मचारियों और अमीरों के मुँह पर
और उन सबके मुँह पर जो नहीं बदलेंगे
हम कहते जा रहे हैं धन्यवाद तुम्हें, धन्यवाद तुम्हें
हमारे चारों ओर जानवरों के मरने के बावजूद
लिए हुए हमारी अनुभूतियाँ हम कह रहे हैं धन्यवाद तुम्हें
हमारे जीवन के क्षणों से भी तीव्र गति से जंगलों के कटने के बावजूद
हम कह रहे हैं धन्यवाद तुमको
शब्द जा रहे हैं दूर जैसे हों मस्तिष्क की कोशिकाएँ
शहर विकसित हो रहे हैं हमारे ऊपर
हम कह रहे हैं धन्यवाद तुमको जल्दी-जल्दी
किसी के सुनते न होने के बावजूद हम कह रहे हैं धन्यवाद तुम्हें
धन्यवाद तुम्हें हम कह रहे हैं और हिला रहे हैं हाथ
यद्यपि अन्धकार है यहाँ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह