भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धन्य हमारी माता जग में / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'
Kavita Kosh से
धन्य हमारी माता जग में.........धन्यo ॥
तुअ महिमा नहिं बरनि सकत कोउ सुर मुनि शेष विधाता ॥
तुमही एक इष्ट हो मेरी तेरो पद नित ध्यावों ।
तेरी कृपा राखि निज उर में जग परवाह न लावों
तेरी प्रेम अपार भक्ति में पगें रहौं सब रोज ।
आशिष देहु पुत्र को निस दिन करत प्रणाम ‘सरोज’ ॥