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धन / दुष्यन्त जोशी
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दुष्यन्त जोशी
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अेकर आज्या रै चाँद
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भाजै क्यूं है
धन रै लारै
बावळौ मिनख
धन चाइजै
तद
दान कर
धन
आपी आ सी
झक मार'र।