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धब्बे / शशि सहगल
Kavita Kosh से
हादसे से भरी ज़िन्दगी में
परेशान है इक हादसा,
तुम्हारे जाने के बाद जब
शहर खाली हो गया था
सूनी इमारतों में
तुम्हारी हँसी की गूँज
धुएँ के धब्बे-सी
दिखाई देती रही
बहुत सालों बाद भी।