धमना नाग का बोलाहट / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा
होरे मन तो पड़ेला हे माता धमना जै नाग हे।
होरे करले हंकार हे माता धमना से नाग हे॥
होरे देवी के जबाब रे माता नागा सरवन सुनले रे।
होरे दौड़ल जे आवे रे नागा देबी के हजूर रे॥
होरे आये तो जुमल नागा देवी केर पास रे।
होरे आगु भये आवे रे नागा करेजे परनाम रे॥
होरे पाछु हटि आवे रे नागा बोले छे जबाब रे।
होरे कौन तो कारण हे माता करेले हँकार हे।
होरे से हौ तो बचन हे माता कहो समुझाई हे॥
होरे किये मैं कहवां रे नागा चान्दो सौदागर रे।
होरे नहीं सोरा पूजते रे नागा चांदो सौदागर रे॥
होरे बच्चा से पोसले रे नागा करेला जुआन रे।
होरे गाढ़ घड़ी आवे रे नागा होइबे सहाय रे॥
होरे बाला लखीन्दर रे नागा डन्सो मोरा देयो रे।
होरे रतन बन्धायवो रे नागा नैना तोहार रे॥
होरे सोवरन बंधाईबौ रे नागा दुसड़ी तोहार रे।
होरे छप्पन सै नाग केर करबो सरदार रे॥
होरे पहिले जे डलिया रे नागा पुजवा तोहार रे।
होरे पनवाँ जे खइबे रे नागा होगेल सावधान रे॥
होरे पसवाँ जे खाइ रे नागा भेगेल सावधान रे।
होरे करि परनाम हे नागा चलि बरु भेल॥