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धरती, जगती और आभौ / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
धरती-
सिलगतौ हारौ
जगती-
हारै टिकी हांडी
आभौ-
हारै रौ दबणौं
हांडी तपै, टसकै, घुटै
ईं रो फूट्यां ई
लारौ छूटै।