भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धरती कितनी बड़ी किताब / अनवारे इस्लाम
Kavita Kosh से
जीवन के आने जाने का,
इस दुनिया के बन जाने का,
इसमें लिक्खा सभी हिसाब-
धरती कितनी बड़ी किताब!
खोल-खोल कर बाँचा इसको,
देखा-परखा, जाँचा इसको,
निकला है अनमोल ख़जाना,
मानव का इतिहास पुराना।
सब अच्छा, कुछ नहीं खराब,
धरती कितनी बड़ी किताब!
खोद-खोद कर गहराई से,
बहुत मिला धरती माई से,
इन चीजों से जाना हमने,
धरती को पहचाना हमने।
थोड़ा तुम भी पढ़ो जनाब,
धरती कितनी बड़ी किताब!
चाँदी-सोना इसके अंदर,
हीरे-पन्ना इसके अंदर,
इसमें बीती हुई कहानी,
इसमें छिपा हुआ है पानी।
इसे पढ़ो बन जाओ नवाब,
धरती कितनी बड़ी किताब!