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धरती पर उतरल चान / नरेश कुमार विकल

धरती पर ऊपर सँ चान आबि गेल।
सूतल सिनेह मे परान आबि गेल।

साओन कें छाँह मे सपना हजार
मरल मरूभूमि मे कोशीक धार
तार टूटल वीणा मे तान आबि गेल
सूतल सिनेह मे परान आबि गेल।

आंचर मे मोती भरल छैक ककरा
आँखि मे अहाँ सन रूप-छैक जकरा
तकरे लेल वसन्तक कमान आबि गेल।
सूतल सिनेह मे परान आबि गेल।

किरण रस घोरि रहल मधुमय तरंग मे
फागुन घर आबि गेल नयनक रंग मे
कोइली सन वंशी मे तान आबि गेल।
सूतल सिनेह मे परान आबि गेल।

काजर सन केश जकर तानल आकाश मे
पिछड़ैत प्रीत ओकर प्रीतम प्रवास मे
ओकरे लेल मेघ घमासान आबि गेल।
सूतल सिनेह मे परान आबि गेल।