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धर्म क नौ पर काम अधर्म का / ओम बधानी
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धर्म क नौ पर काम अधर्म का
भुगतणी छ जन्ता,फल यूंका कुर्कमु का
ऊं पछाणा भुलौं,ऊं पछाणा दिदौं
सि न तुमारा, छन न हमारा छन
बिबलाणा छन बाळा,लुल्यामार मचीं छ
द्वि घड़ि पैलि हरि भरि,मवासि उजड़ीं छ
दानौं कि लाठि,मां कि कोळि उजड़िगे
स्वाग सिंदूर लुट्यै,छुट्या भाई बैण्यूं का
खून की लमछड़ि देखि,सेळि पड़दि जिकुड़ा
मनख्यौं कि लास देखि, सेळि पड़दि जिकुड़ा
नर रूप मा दैंत पिचाग्स छन
विधाता इन बतौ क्य इ भि तेरि हि रचणा छ
दैंतु क विणास करणौं विधाता लेंदु औतार
हे षहीदु तुम सैंदिष्ट विधाता ह्वैन धरति पर
मनख्यात बचैणक जीवन अपड़ु दिनी
रौंला कर्जदार जब तैं प्राण छन सरेल म