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धवल चंदन लेप पर सित हार / कालिदास
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धवल चंदन लेप पर
- सित हार उर पर डोल सुन्दर
भुजाओं पर वलय अंगद
- जघन पर रसना क्वणन कर
नितंबिनि उर अनगातुर
- में नवल-श्री भर रहे हैं
हेम कमलों से मुखों पर
- पत्र लेखन खिल रहे हैं,
स्वेद कन मुक्ता सदृश
- उस पत्र रचना में झलक चल
फेल जाते हैं, नया
- उन्माद नयनों में समाकुल
प्रिये मधु आया सुकोमल!