भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धातु युग / रवि प्रकाश
Kavita Kosh से
रौंद डालते हैं तुम्हारे बमवर्षक
दुनियां की सरहदें
आसमान में तारों की जगह
टिमटिमाती रहती हैं तुम्हारे बमवर्षकों की बत्तियां !
तुम क्या समझते हो ;
क्या इस युग के सारे हथियार
सिर्फ लोहे बनाए जायेंगे ?
नहीं
ये धातु युग नहीं है
अगर कहते हो इसे ज्ञान और विज्ञान युग
तोह इस युग का हथियार
विचारों से गढ़ा जाएगा
अगर सुन सकते हो तो सुनो !
इस युग का हथियार
जो विचारों से गढ़ा जाएगा
हम गढ़ेगे
और हर चीख का हिसाब मांगेंगे