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धार नगर का पापी हो राजा / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

धार नगर का पापी हो राजा
उन मेरी सेवा नई कर जाणी
करवा नगर का ठाकुर
उन मेरी सेवा नई कर जाणी
उन मेरी पाठ बंचाया
उन मेरी ओढ़नी ओढ़ाई
उन मेरी होम करायो
धार नगर का पापी राजा
उन्होंने मेरी सेवा करना नहीं जानी
करबा नगर का ठाकुर
उन्होंने मेरी सेवा करना जानी
उन्होंने पाठ कराया
उन्होंने ओढ़नी ओढ़ाई
उन्होंने हवन कराया