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धीरज / रुस्तम
Kavita Kosh से
तुम्हारे नहीं होने, नहीं आने पर मुझे बहुत धीरज से सोचना है।
तुम नहीं हो, नहीं आओगी मुझसे मिलने — इस ज्ञान को मुझे बहुत धीरज से पकाना है,
उसे
रस में
बदल जाने देना है।
रस को
धीरे-धीरे,
बहुत धीरज से
सोखना है।