धीरे धीरे चढ़ गया नदी में पानी / शैलेन्द्र
होऽऽऽ धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी
होऽऽऽ धीरे-धीरे
होऽऽऽ कोइ कहे तूफ़ान उठा, कोइ कहे रे आई जवानी
धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी
होऽऽऽ धीरे-धीरे..
दिल में बैठ कोई दिल की धड़कन गिनता जाए, धड़कन गिनता जाए
मेरे दिल के भेद चुराकर अपने भेद छुपाए, अपने भेद छुपाए
होऽऽऽ ज्यों-ज्यों मेरी प्रीत बढ़े मैं होती जाऊँ दीवानी...
धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी
होऽऽऽ धीरे-धीरे...
उठती गिरती लय बोले आओ साथ हमारे, आओ साथ हमारे
आनेवाली रात के पहले तारे करें इशारे, तारे करें इशारे
होऽऽऽ मन की बतियाँ गीत बने गीतों में आए रवानी ...
धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी
होऽऽऽ धीरे-धीरे...
बचपन में हम कर बैठे एक छोटी सी नादानी, छोटीसी नादानी
लेकिन आज उसी के दम से है ज़िन्दगी सुहानी, है ज़िन्दगी सुहानी
होऽऽऽ दो दिल क्य मिल गए कि आगे बढ़ती जाए कहानी ...
धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी
होऽऽऽ धीरे-धीरे...
(फ़िल्म - आग़ोश 1953)