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धीरे धीरे लै चलिऔन, राम के अँगनमा हे / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में राम विवाह के समय की परिछन-विधि, जगज्जननी जानकी और राम की सुंदर जोड़ी तथा सजे-सजाये बरात का उल्लेख हुआ है। सीता की माँ दुलहे की आरती उतारती है और पान से उनके गाल सेॅककर ‘गजसेॅकी’ विधि संपन्न करती है।

धीरे धीरे लै चलिऔन<ref>ले चलो</ref>, राम के अँगनमा हे।
जामा जोरी<ref>जामा-जोड़ा। दुलहे को पहनाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का वस्त्र, जिसका नीचे का भाग घाँघरदार और कमर के ऊपर उसकी काट बगलबंदी के ढंग की होती है</ref> सोभे, मँगल सोभे छेन धोतिया हे।
बैठू रामजी मड़बा पर, खाऊ बीरा पनमा हे॥1॥
साजी लेल हाला डाला, लेसी लेल<ref>जला लिया</ref> बतिया हे।
चलु सखी देखन, राम दुलहा आयल हे॥2॥
सासु सुनयना रानी, सेकेन<ref>सेॅकती हैं</ref> पान देके बतिया हे।
मिथिला के बगिया के, धन-धन भाग हे॥3॥
धीरे धीरे लै चल, राम के अँगनमा हे।
राम के अँगनमा सखी हे, लछुमन के अँगनमा॥4॥
मूठी एक ऊँच छथिन, सिया के ललनमा<ref>पति; प्रियतम</ref> हे।
जानकी सुन्नर गोरी, सामल<ref>श्यामवर्ण का</ref> त बरबा हे॥5॥
सुन्नर पलकिया के, कामदार छहियाँ हे।
तेहने<ref>उसी प्रकार</ref> सुन्नर छथिन, सोलहो कहरिया हे॥6॥
दुलहा के बाबूजी के, पाकल पाकल दढ़िया हे।
तेहने पाकल छेन, गुरुजी के केसिया हे॥7॥
साजी लेल हाला डाला, लेसि लेल बतिया हे।
सासु सुनयना रानी, आरती उतारेन<ref>उतारती है</ref> हे॥8॥

शब्दार्थ
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