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धीरे से आ जा री / जगदम्बा चोला
Kavita Kosh से
धीरे से आ जा री, अंखियन में निंदिया,
आ जा री आ जा, धीरे से आ जा...!
जागा है मेरा राजकुंवर, तू आके सुला जा,
पंखा झले प्यारी मैया, तू आके पलना झुला जा।
पलकों पे आके, तू हौले से अइयो,
सोते कुंवर को तू यूं न जगइयो।
कच्ची नींद न उठइयो री निंदिया,
आ जा री आ जा, धीरे से आ जा...!
छोटे-से मुख से ली है जमुहाई,
आंखें उनींदी हैं, नींद झुक आई।
हौले-हौले दियो झोटा, लाला जग जाएगा,
रात अभी बाकी है, शोर मचाएगा।
भूख से रोएगा मेरा राजा,
निंदिया धीरे से आ जा।
धीरे से आ जा री, अंखियन में निंदिया,
आ जा री आ जा, धीरे से आ जा...!