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धुंऊं / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
जावै
जोत स्यूं
घणो ऊंचो
नुगरो धुंऊं
पण कोनी
देवै
इण कुळ कळंकी नै
मोटो गिगनार
शरण
आ तो
समदीठ लौ
जकी बणा देवै
इण अ़ांख फोड़ै नै
काजळ !