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धुआँ ..आग ..रोटी / नील कमल
Kavita Kosh से
बहुत धुआँ है शहर में
तो क्या आग भी है बहुत
शहर के सीने में ?
है अगर आग
तो क्या सिंकती हैं रोटियाँ भी
शहर में ?
चलो, तुम कहते हो सही तो
रोटियाँ होंगी ज़रूर शहर में
लेकिन कॉमरेड
अभी-अभी जो मर गया
शहर का नवीनतम नागरिक
सरकारी अस्पताल के जनरल वार्ड में
उसकी मौत की वज़ह
क्या है ? धुआँ ..? आग ..? रोटी ..?
इन तीनों कोणों के बीच में है
मौत की वज़ह
जिसे पॅालिटिक्स कहते हैं
मैंने झूठ तो नहीं कहा न ?