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धुआँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / देवेन्द्र मोहन
Kavita Kosh से
सरोवर के किनारे
पेड़ों के बीच
एक छोटा मकान
जिसकी
चिमनी से
ऊपर उठता धुआँ ।
अगर वह न होगा
कितने उदास लगेंगे
मकान,
सरोवर और पेड़ ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेन्द्र मोहन