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धुइयाँ के कुइयाँ / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
जे पीयै छै फुक-फुक धुइयाँ
ओकरोॅ नीचू बड़का कुइयाँ
कुइयाँ में छै कहीं नै पानी
जमराजें गेलोॅ छै खानी
मार भगाबें धुइयां केॅ
भत्ती दैं ई कुइयाँ केॅ।