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धुन्ध / श्रीकांत वर्मा
Kavita Kosh से
चक्कर
खाकर
स-ह-सा
दुनिया के
किसी
एक कोने में
गिरता
है
आ-द-मी
दूसरे
कोने
से
उभरता
है
ल-ड़ा-का
धुँध
में
डू-बी
हुई
है
जय-
प-ता-का
सी-ना
फुलाकर
क-ह-ता
है
वह
अ-प-ने
आप
से-
मैंने
उसे
मा-रा
स-ड़-क
के
कि-ना-रे
बैठी
बू-ढ़ी
औ-र-त
क-ह-ती
है
हत्यारा