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धूंओं साखी है / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
झूंपड़ै सूं निकळयो
नाचतो धूंओं
साखी है
इण बात रो
कै आज तो
नीं सोवैलो
काळू रो कुनबो
साव भूखो..!