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धूप का अपहरण / केशव
Kavita Kosh से
अभी धूप
उतरी भी नहीँ थी
कँगूरों पर
ज़मीन तक बिछने के लिए
कि छप गई अखबारों में
ख़बर
धूप के अपहरण की
धूप कई दिनों से लापता है
हर रोज़
टैलिविज़न पर
धूप का चित्र दिखाकर
आसमान का पता बताकर
एक खूबसूरत औरत
करती है घोषणा-----
धूप को जो ढूँढ लायेगा
मर्द होने का ईनाम वही पायेगा