धूप के अनुरूप
धूप बदलती है
अपना अधिकार क्षेत्र
जिसके अनुरूप बिना किसी द्वन्द्व के
मैं अपना स्थान बदल लेती हूँ
भ्रष्ट होते जाने की प्रक्रिया
कितनी अनाम
कितनी आसान होती है.
धूप के अनुरूप
धूप बदलती है
अपना अधिकार क्षेत्र
जिसके अनुरूप बिना किसी द्वन्द्व के
मैं अपना स्थान बदल लेती हूँ
भ्रष्ट होते जाने की प्रक्रिया
कितनी अनाम
कितनी आसान होती है.