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धूप निकली है तो बदल की रिदा मांगते हो / शहजाद अहमद
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धूप निकली है तो बादल की रिदा माँगते हो
अपने साये में रहो ग़ैर से क्या माँगते हो
अरसा ऐ हश्र में बक्शिश की तमन्ना है तुम्हें
तुमने जो कुछ न किया उसका सिला माँगते हो
उसको मालूम है 'शहजाद' वो सब जानता है
किसलिए हाथ उठाते हो दुआ माँगते हो