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धूप में / देवेन्द्र कुमार
Kavita Kosh से
धूप में तन कर खड़े हैं पेड़ ।
अँधेरे में ख़ासकर
जो बन गए थे,
ऊँट-घोड़ा-गाय
बकरी-भेड़ ।
पत्तियों का मुरैठा बाँधे
शाख है या हल कोई काँधे
यह चुनौती
सामना, मुठभेड़ ।
शाह का ऐलान या आँधी
फिर हवा की डुगडुगी बाजी
पर
कब्ज़ा किए हैं मेंड़ ।