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धूप से सर्दियों में ख़फ़ा कौन है / बल्ली सिंह चीमा

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धूप से सर्दियों में ख़फ़ा कौन है ?
उन दरख़्तों के नीचे खड़ा कौन है ?

बह रही हो जहाँ कूलरों की हवा,
पीपलों को वहाँ पूछता कौन है ?

तेरी जुल्फ़ों तले बैठकर यूँ लगा,
अब दरख़्तों तले बैठता कौन है ?

आप जैसा हँसी हमसफ़र हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन है ?

रात कैसे कटी और कहाँ पर कटी,
अजनबी शहर में पूछता कौन है ?

आप भी बावफ़ा ’बल्ली’ भी बेगुनाह,
सारे किस्से में फिर बेगुनाह कौन है ?