भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धूप / रफ़ीक सूरज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सदासर्वदा बिना कुछ कहे
छायाओं का
उत्पादन करने वाले पेड़
वैश्विक मन्दी के इस दौर में
सरेआम फैली हुई
धूप की इस अपरिमित पूँजी का
अब किस भरोसेमन्द
व्यवसाय में
निवेश करेंगे?

मराठी से हिन्दी में अनुवाद : भारतभूषण तिवारी