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धूप / रूपा सिंह

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धूप !!
धधकती , कौंधती, खिलखिलाती
अंधेरों को चीरती , रौशन करती ।

मेरी उम्र भी एक धूप थी
अपनी ठण्डी हड्डियों को सेंका करते थे जिसमें तुम !

मेरी आत्मा अब भी एक धूप
अपनी बूढ़ी हड्डियों को गरमाती हूँ जिसमें ।

यह धूप उतार दूँगी,
अपने बच्चों के सीने में
ताकि ठण्डी हड्डियों वाली नस्लें
इस जहाँ से ही ख़त्म हो जाएँ ।
          .
 और लीजिए, अब इस कविता का अंग्रेजी में जगदीश नलिन का अनुवाद पढ़िए
         Rupa Singh
       The Sun-Light

The Sun-Light
Blazing, flashing, giggling
Tearing darknesses, illuminating

My age was too a sun-light
Which you used to warm.

Your cold bones in
My soul even today is a Sun-Light
Which I heat my old grown bones in.

This Sun-Light I will pull down
Into the bossom of my kids
So that the generations with cold bones
May be extinct from this world

Translated into English by Jagdeesh Nalin