भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धूमिल की अंतिम कविता / धूमिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

"शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना की यह
लोहे की आवाज है या
मिट्टी में गिरे हुए खून
का रंग"

लोहे का स्वाद
लोहार से मत पूछो
उस घोड़े से पूछो
जिसके मुँह में लगाम है.