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धूल-भरा खलिहान हुआ अब जंगल है / भावना

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धूल -भरा खलिहान हुआ अब जंगल है
सूखे की इस मार से अलगू बेकल है

रोता है अपनी ही आवाज़ें सुनकर
दुनिया कहती है उसको वो पागल है

आंधी की आहट है या बारिश होगी
छत पर जानें क्यों चिड़ियों की हलचल है

कबतक आंखें यूँ रोयेंगी बावस्ता
कब से ठहरा आंखों में इक बादल है

तीर नुकीले रोज़ सियासत छोड़ रही
अम्न -मुहब्बत और विरासत घायल है