भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धोखा कहें, फ़रेब कहें, हादसा कहें / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


धोखा कहें, फ़रेब कहें, हादसा कहें
इस ज़िन्दगी को क्या न कहें, और क्या कहें!

कहने से बेवफ़ा तो बुरा मानते हो तुम
अब तुमको बेवफ़ा न कहें, और क्या कहें!

ख़ुद बेहिसाब, हमसे हरेक बात का हिसाब
तुमको अगर ख़ुदा न कहें और क्या कहें!

कहते हैं वे कि बाग़ में पतझड़ है अब, गुलाब!
हम तुमको 'अलविदा' न कहें और क्या कहें!