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धोखा कहें, फ़रेब कहें, हादसा कहें / गुलाब खंडेलवाल
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धोखा कहें, फ़रेब कहें, हादसा कहें
इस ज़िन्दगी को क्या न कहें, और क्या कहें!
कहने से बेवफ़ा तो बुरा मानते हो तुम
अब तुमको बेवफ़ा न कहें, और क्या कहें!
ख़ुद बेहिसाब, हमसे हरेक बात का हिसाब
तुमको अगर ख़ुदा न कहें और क्या कहें!
कहते हैं वे कि बाग़ में पतझड़ है अब, गुलाब!
हम तुमको 'अलविदा' न कहें और क्या कहें!